Breaking News
निकाय चुनाव की तिथि का किया ऐलान, जानिए कब होगी वोटिंग
नगर निगम, पालिका व पंचायत के आरक्षण की फाइनल सूची जारी
चकराता में हुई सीजन की दूसरी बर्फबारी, पर्यटक स्थलों पर उमड़े लोग, व्यवसायियों के खिले चेहरे 
 कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने स्वामी विवेकानन्द पब्लिक स्कूल के 38वें वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में किया प्रतिभाग
तमन्ना भाटिया के प्रशंसकों को मिला तोहफा, ‘ओडेला 2’ का नया पोस्टर जारी
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘रोजगार मेला’ के तहत 71,000 युवाओं को सौंपे नियुक्ति पत्र
सर्दियों में भूलकर भी बंद न करें फ्रिज, वरना हो सकता है भारी नुकसान, ऐसे करें इस्तेमाल
कुवैत ने पीएम मोदी को अपने सबसे बड़े सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ से किया सम्मानित 
मुख्यमंत्री धामी ने 188.07 करोड़ की 74 योजनाओं का किया लोकर्पण और शिलान्यास

आरक्षण का मुद्दा गरमाया

चुनाव प्रचार में इन दिनों आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है। प्रारंभिक तौर पर आरक्षण को सबसे निचले वर्गों की जातियों को आर्थिक तथा राजनीतिक संबल प्रदान करने के लिए वैधानिक तौर पर आरक्षण प्रदान किया गया था। बाद में आरक्षण का विस्तार होता गया और इसमें नये-नये जाति समूह शामिल होते चले गए।आरक्षण प्राप्त करने के लिए जाट और मराठा जैसे शक्तिशाली समूहों को आंदोलन की राह पकडऩी पड़ी।

दरअसल, जो आरक्षण निचली पायदान पर खड़े जाति समूहों के उत्थान के लिए था, वह सभी जाति समूहों के लिए राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने का हथियार बन गया। कहने की जरूरत नहीं है कि आज आरक्षण भारतीय समाज के एक बहुत बड़े वर्ग में असंतोष और चिंता का कारक बना हुआ है।

हिन्दू समाज के अनारक्षित जाति समूह मानते हैं कि उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। ऐसी सूरत में एक ऐसे आर्थिक ढांचे पर बल दिए जाने की जरूरत थी जिसमें बिना आरक्षण की सीढ़ी के सभी निचले वर्ग के लोगों को उत्थान के अवसर प्राप्त हों और जातीय आग्रह सामाजिक विग्रह के कारण न बनें लेकिन अब आरक्षण की नीति एक चिंताजनक मोड़ पर ले आई है। एक ओर जहां कांग्रेस के नेता विशेषकर राहुल गांधी आरोप लगा रहे हैं कि मोदी तीसरी बार सत्ता में आए तो संविधान बदल देंगे और आरक्षण खत्म कर देंगे। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी हर सभा में कह रहे हैं कि कांग्रेस ने आरक्षण को मुस्लिम तुष्टिकरण का नया औजार बना लिया है।

वह बार-बार कर्नाटक का उदाहरण दे रहे हैं जहां कांग्रेस ने सभी मुस्लिम जातियों को पिछड़े वर्ग में शामिल करके पिछड़े वर्ग के कोटे से ही 4 प्रतिशत का आरक्षण दे दिया जिसे बाद में भाजपा सरकार ने निरस्त कर दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जहां भाजपा सरकार के फैसले पर रोक लगा दी गई है।

मोदी अपनी हर सभा में खुलकर कह रहे हैं कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो दलित और पिछड़ों का आरक्षण समाप्त कर मुसलमानों को दे देगी। संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। लेकिन कांग्रेस ने चोर दरवाजे से कर्नाटक में आरक्षण देकर जो कदम उठाया है, उसके दुष्परिणाम समझ नहीं पा रही। बेशक, भाजपा को विरोध का बड़ा चुनावी मुद्दा मिल गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top